पतिव्रता का अंग (36-38) | गोपीचंद तथा भरथरी की कथा

वाणी नं. 36-37-38:- गरीब, गोपीचंद अरु भरथरी, पतिब्रता हैं दोइ। गोरख से सतगुरु मिलें, पत्थर पाहन ढोइ।।36।।गरीब, बारह बरस बिसंभरी, अलवर किला चिनाई। सतगुरु शब्दों...

पतिव्रता का अंग (29-33) | प्रहलाद की कथा

वाणी नं. 29-30:- गरीब, पतिब्रता प्रहलाद है, एैसी पतिब्रता होई। चैरासी कठिन तिरासना, सिर पर बीती लोइ।।29।।गरीब, राम नाम छांड्या नहीं, अबिगत अगम अगाध। दाव...

सुमिरन का अंग (107) | भक्त नंदा नाई (सैन) की कथा

वाणी नं. 107 का सरलार्थ:- गरीब, दौ कौडी़ का जीव था, सैना जाति गुलाम। भगति हेत गह आइया, धर्या स्वरूप हजाम।। 107।। भक्त नंदा नाई (सैन)...