सुमिरन का अंग (107) | भक्त नंदा नाई (सैन) की कथा

वाणी नं. 107 का सरलार्थ:- गरीब, दौ कौडी़ का जीव था, सैना जाति गुलाम। भगति हेत गह आइया, धर्या स्वरूप हजाम।। 107।। भक्त नंदा नाई (सैन)...

सुमिरन का अंग (106) | सुदामा कृष्ण कथा

वाणी नं. 106 का सरलार्थ:- गरीब, संगी सुदामा संत थे, दारिद्रका दरियाव। कंचन महल बकस दिये, तंदुल भेंट चढाव।।106।। कथा:- सुदामा जी को धनी बनाया...

सुमिरन का अंग (104-105) | काशी में करौंत की स्थापना की कथा

वाणी नं. 104 का सरलार्थ:- गरीब, बिना भगति क्या होत है, भावैं कासी करौंत लेह। मिटे नहीं मन बासना, बहुबिधि भर्म संदेह।।104।। काशी नगर के...

सुमिरन का अंग (94-102) | सुमरण की महिमा

गरीब, सुमिरन तब ही जानिये, जब रोम रोम धुन होइ। कुंज कमल में बैठ कर, माला फेरे सोइ।।94।।गरीब, सुरति सुमरनी हाथ लै, निरति मिले निरबान।...

सुमिरन का अंग (88-93) | शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना

जिस समय दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव...