पारख का अंग 31 October 202031 October 2020 Muktibodh पारख का अंग (60) | मीरा बाई की कथा पारख के अंग की वाणी नं. 60:- गरीब, मीरां बाई पद मिली, सतगुरु पीर कबीर। देह छतां ल्यौ लीन है, पाया नहीं शरीर।।60।। मीरा बाई...
पारख का अंग 31 October 202031 October 2020 Muktibodh पारख का अंग (56-59) | राबी की कथा राबी की कथा पारख के अंग की वाणी नं. 56-59:- गरीब, सुलतानी मक्कै गये, मक्का नहीं मुकाम। गया रांड के लेन कूं, कहै अधम सुलतान।।56।।गरीब,...
पारख का अंग 31 October 202031 October 2020 Muktibodh पारख का अंग (49-55) | मंसूर अली की कथा पारख के अंग की वाणी नं. 49-51:- गरीब, उतपति परलौ जात हैं, अनंत कोटि ब्रह्मंड। जोगजीत समझाईया, जिब उधरे कागभुसंड।।49।।गरीब, बाशिष्ट बिश्वामित्र से, आवैं जाहिं...
पारख का अंग 29 October 202031 October 2020 Muktibodh पारख का अंग (48) पारख के अंग की वाणी नं. 48:- गरीब, गरुड़ बोध बेदी रची, राम कृष्ण हैरान। लंका परि धावा हुवा, जदि का कहूं बयान।।48।। अध्याय गरूड़...
पारख का अंग 29 October 202029 October 2020 Muktibodh पारख का अंग (42-47) पाण्डवों द्वारा की गई धर्मयज्ञ पूर्ण करना परमात्मा कबीर जी द्वापरयुग में सशरीर बालक रूप में पृथ्वी पर आए थे। एक तालाब में कमल के...
पारख का अंग 29 October 202029 October 2020 Muktibodh पारख का अंग (1-41) वाणी नं. 1-12:- गरीब, न्यौलि नाद सुभांन गति, लरै भवंग हमेश। जड़ी जानि जगदीश हैं, बिष नहीं व्यापै शेष।।1।। भावार्थ:- परम आदरणीय संत गरीबदास जी...
पारख का अंग 29 October 202029 October 2020 Muktibodh पारख का अंग | सरलार्थ पारख के अंग का सरलार्थ सारांश:- पारख का अर्थ परख यानि जाँच-पहचान। परमात्मा का पारख (पहचान) इस पारख के अंग में है। इस पारख के...
पतिव्रता का अंग 28 October 202023 July 2021 Muktibodh पतिव्रता का अंग | सरलार्थ पतिव्रता के अंग का सरलार्थ पतिव्रता का भावार्थ पूर्व में सारांश में बता दिया है। वाणी नं. 1 से 10:- गरीब, पतिब्रता तिन जानिये, नाहीं...
पतिव्रता का अंग 27 October 202027 October 2020 Muktibodh पतिव्रता का अंग (39-41) | राजा वाजीद की कथा कथा:- राजा वाजीद जी को वैराग्य कैसे हुआ? वाणी नं. 39 से 41 तथा ’सवैया गेंद उछाल‘:- गरीब, बाजींदा बैजार में, तरकस तोरि कमान।सुत्रा मुंये...
पतिव्रता का अंग 27 October 202023 July 2021 Muktibodh पतिव्रता का अंग (36-38) | गोपीचंद तथा भरथरी की कथा वाणी नं. 36-37-38:- गरीब, गोपीचंद अरु भरथरी, पतिब्रता हैं दोइ। गोरख से सतगुरु मिलें, पत्थर पाहन ढोइ।।36।।गरीब, बारह बरस बिसंभरी, अलवर किला चिनाई। सतगुरु शब्दों...