काशी में भोजन-भण्डारा करना

शेखतकी सब मुसलमानों का मुख्य पीर (गुरू) था जो परमात्मा कबीर जी से पहले से ही ईष्र्या करता था। सर्व ब्राह्मणों तथा मुल्ला-काजियों व शेखतकी ने...

गज-ग्राह की कथा | सुमिरन का अंग

हाहा-हूहू नाम के दो तपस्वी थे। उनको अपनी भक्ति का गर्व था। एक-दूसरे से अधिक सिद्धि-शक्ति वाला कहते थे। अपनी-अपनी शक्ति के विषय में जानने के...

भैंस का सींग भगवान बना | सुमिरन का अंग (26-27)

वाणी नं. 26 से 37:- गरीब, साहिब साहिब क्या करै, साहिब है परतीत। भैंस सींग साहिब भया, पांडे गावैं गीत।।26।।गरीब, राम सरीखे राम हैं, संत...

सुमिरन के अंग का सारांश | Muktibodh

संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी रूपी वन में प्रत्येक प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियां, फूल, फलदार वृक्ष, मेवा की लता आदि-आदि उगाए हैं। इसका मुख्य कारण यह...

सुमिरन के अंग का सरलार्थ | Muktibodh | अथ सुमिरन का अंग

।।सत साहेब।।सुमिरन के अंग का सरलार्थ(अथ सुमिरन का अंग) शब्दार्थ:- अथ = प्रारम्भ, अविगत = जिस परमेश्वर की गति यानि सामथ्र्य कोई नहीं जानता। जिसको...