सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh काशी में भोजन-भण्डारा करना शेखतकी सब मुसलमानों का मुख्य पीर (गुरू) था जो परमात्मा कबीर जी से पहले से ही ईष्र्या करता था। सर्व ब्राह्मणों तथा मुल्ला-काजियों व शेखतकी ने...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh गज-ग्राह की कथा | सुमिरन का अंग हाहा-हूहू नाम के दो तपस्वी थे। उनको अपनी भक्ति का गर्व था। एक-दूसरे से अधिक सिद्धि-शक्ति वाला कहते थे। अपनी-अपनी शक्ति के विषय में जानने के...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh भैंस का सींग भगवान बना | सुमिरन का अंग (26-27) वाणी नं. 26 से 37:- गरीब, साहिब साहिब क्या करै, साहिब है परतीत। भैंस सींग साहिब भया, पांडे गावैं गीत।।26।।गरीब, राम सरीखे राम हैं, संत...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन के अंग का सरलार्थ (1-25) | Muktibodh (राग बिलावल से शब्द नं. 17 भी पढ़ें।) तत कहन कूं राम है, दूजा नहीं देवा। ब्रह्मा बिष्णु महेश से, जाकी करि हैं सेवा।।टेक।। जप...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन के अंग का सारांश | Muktibodh संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी रूपी वन में प्रत्येक प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियां, फूल, फलदार वृक्ष, मेवा की लता आदि-आदि उगाए हैं। इसका मुख्य कारण यह...
सुमिरन का अंग 25 October 20205 December 2020 Muktibodh सुमिरन के अंग का सरलार्थ | Muktibodh | अथ सुमिरन का अंग ।।सत साहेब।।सुमिरन के अंग का सरलार्थ(अथ सुमिरन का अंग) शब्दार्थ:- अथ = प्रारम्भ, अविगत = जिस परमेश्वर की गति यानि सामथ्र्य कोई नहीं जानता। जिसको...