सुमिरन का अंग (104-105) | काशी में करौंत की स्थापना की कथा

वाणी नं. 104 का सरलार्थ:- गरीब, बिना भगति क्या होत है, भावैं कासी करौंत लेह। मिटे नहीं मन बासना, बहुबिधि भर्म संदेह।।104।। काशी नगर के...

सुमिरन का अंग (94-102) | सुमरण की महिमा

गरीब, सुमिरन तब ही जानिये, जब रोम रोम धुन होइ। कुंज कमल में बैठ कर, माला फेरे सोइ।।94।।गरीब, सुरति सुमरनी हाथ लै, निरति मिले निरबान।...

सुमिरन का अंग (88-93) | शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना

जिस समय दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव...

सुमिरन का अंग (70) | सुखदेव की उत्पत्ति की कथा

वाणी नं. 70:- गरीब, सुकदेव सुखमें ऊपजे, राई सींग समोइ। नवनाथ अरु सिद्ध चैरासी, संगि उपजेथे दोइ।।70।। सुखदेव की उत्पत्ति की कथा सरलार्थ:- जिस समय भगवान...