पतिव्रता का अंग 27 October 202023 July 2021 Muktibodh पतिव्रता का अंग (29-33) | प्रहलाद की कथा वाणी नं. 29-30:- गरीब, पतिब्रता प्रहलाद है, एैसी पतिब्रता होई। चैरासी कठिन तिरासना, सिर पर बीती लोइ।।29।।गरीब, राम नाम छांड्या नहीं, अबिगत अगम अगाध। दाव...
पतिव्रता का अंग 27 October 202023 July 2021 Muktibodh अथ पतिव्रता का अंग अथ पतिव्रता का अंग का सरलार्थ | सारांश सारांश:- पतिव्रता उस स्त्री को कहते हैं जो अपने पति के अतिरिक्त अन्य किसी पुरूष को पति...
बिरह चितावनी के अंग 26 October 202026 October 2020 Muktibodh अथ बिरह चितावनी के अंग अथ बिरह चितावनी के अंग का सारांश सारांश:- संत गरीबदास जी ने मानव शरीर प्राप्त प्राणियों को काल ब्रह्म के लोक की भूल-भुलईया बताई है...
सुमिरन का अंग 26 October 202027 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (112-127) वाणी नं. 112:- मांझी मर्द कबीर है, जगत करै उपहास। कैसौ बनजारा भया, भक्त बढ़ाया दास।। काशी में भण्डारा करना सरलार्थ:- मांझी = नौका को...
सुमिरन का अंग 26 October 202026 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (111) | रविदास जी की कथा वाणी नं. 111: गरीब, रैदास रंगीला रंग है, दिये जनेऊ तोड़। जगजौनार चैले धरे, एक रैदास एक गौड ।।111।। वाणी नं. 111 का सरलार्थ:- रविदास...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (110) | धन्ना भक्त की कथा वाणी नं. 110: गरीब, धना भगति की धुनि लगी, बीज दिया जिन दान। सूका खेत हरा हुवा, कांकर बोई जान।।110।। वाणी नं. 110 का सरलार्थ:-...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (109) | पीपा राजा की कथा वाणी नं. 109: गरीब, पीपा कूं परचा हुवा, मिले भगत भगवान। सीता सुधि साबित रहै, द्वारामती निधान ।।109।। वाणी नं. 109 का सरलार्थ:- पीपा राजा...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (108) | नामदेव जी की कथा वाणी नं. 108: गरीब, नामा के बीठ्ठल भये, और कलंदर रूप। गउ जिवाई जगतगुरु, पादसाह जहां भूप।।108।। वाणी नं. 108 का सरलार्थ:- इस वाणी में...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (107) | भक्त नंदा नाई (सैन) की कथा वाणी नं. 107 का सरलार्थ:- गरीब, दौ कौडी़ का जीव था, सैना जाति गुलाम। भगति हेत गह आइया, धर्या स्वरूप हजाम।। 107।। भक्त नंदा नाई (सैन)...
सुमिरन का अंग 25 October 202025 October 2020 Muktibodh सुमिरन का अंग (106) | सुदामा कृष्ण कथा वाणी नं. 106 का सरलार्थ:- गरीब, संगी सुदामा संत थे, दारिद्रका दरियाव। कंचन महल बकस दिये, तंदुल भेंट चढाव।।106।। कथा:- सुदामा जी को धनी बनाया...