सुमिरन के अंग का सारांश | Muktibodh

संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी रूपी वन में प्रत्येक प्रकार के पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियां, फूल, फलदार वृक्ष, मेवा की लता आदि-आदि उगाए हैं। इसका मुख्य कारण यह...

सुमिरन के अंग का सरलार्थ | Muktibodh | अथ सुमिरन का अंग

।।सत साहेब।।सुमिरन के अंग का सरलार्थ(अथ सुमिरन का अंग) शब्दार्थ:- अथ = प्रारम्भ, अविगत = जिस परमेश्वर की गति यानि सामथ्र्य कोई नहीं जानता। जिसको...